बकरी न खाने वाला भेड़िया हिंदी कहानियाँ
बकरी न खाने वाला भेड़िया हिंदी कहानियाँ
एक बुजुर्ग चरवाहे ने आफन्ती से पूछाः
"आफन्ती भाई, मैं अब तक न जाने कितनी भेड़-बकरियां पाल चुका हूं। पर मेरी न जाने कितनी भेड़-बकरियों को भेड़िये चटकर गए हैं। क्या इस दुनिया में कोई ऐसा भेड़िया भी है जो बकरी न खाता हो?"
"क्यों नहीं? जरूर है!" आफन्ती ने उत्तर दिया।
"वह कैसा भेड़िया है?"
"जो मर चुका हो!"
बादशाह की कीमत
एकं दिन बादशाह और आफन्ती एक साथ स्नान कर रहे थे। बादशाह ने पूछाः "आफन्ती, अगर मुझे बाजार में एक गुलाम के तौर पर बेचा जाए, तो क्या क़ीमत मिलेगी?"
"ज्यादा से ज्यादा दस य्वानपाओ!" आफन्ती ने उत्तर दिया।
बादशाह गुस्से से आगबबूला हो उठा। बौखलाकर बोला:
"तुम निहायत बेवकूफ आदमी हो। जान पड़ता है तुम्हारी अक्ल घास चरने गई हुई है। मेरे इस कढ़े हुए मफलर की कीमत भी दस व्वानपाओ से कम नहीं है!"
"ठीक है, मेरे अक्लमन्द बादशाह!" आफन्ती मफलर की ओर इशारा करता हुआ बोला। "मैंने दस य्वानपाओ इसी मफलर की कीमत बताई है।"
दो की जगह चार पैर
एक बार आफन्ती की आंखों में तकलीफ हो गई और उसे हर चीज धुंधली नजर आने लगी। बादशाह ने उसकी खिल्ली उड़ाते हुए कहा:
"आफन्ती, सुना है, अब तुम्हें हर चीज के दो रूप नजर आने लगे हैं। अब तक तुम्हारे पास सिर्फ एक ही गधा था, लेकिन अब दो गधे हो गए होंगे। तुम सचमुच अमीर बन गए हो! हा-हा-हा..."
"आपने बिल्कुल सही फरमाया, जहांपनाह!" आफन्ती बोला, "अब मुझे आपके भी दो की जगह चार पैर नजर आने लगे हैं!"
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