तपस्या का बेहतरीन तरीका कहानी

 तपस्या का बेहतरीन तरीका


एक बार बादशाह ने आफन्ती से पूछा: "मेरे लिए तपस्या का कोई ऐसा तरीका बताओ जिससे मरने के बाद बहिश्त मिलने की गारन्टी हो जाए।" आफन्ती ने फौरन उत्तर दियाः "कोई काम किए बगैर दिन-रात गहरी नींद सोए रहिए।"


यह सुनकर बादशाह को बड़ा अजीब लगा। वह बोला:


"क्या सोना भी एक तरह की तपस्या है?"


"हां जहांपनाह, गहरी नींद सोना ही आपके लिए तपस्या का बेहतरीन तरीका है," आफन्ती ने उत्तर दिया। "इससे आप बुरे कामों से दूर रहेंगे। कहावत है: जागे हुए बदमाश से सोया हुआ बदमाश बेहतर होता है।"


मरा हुआ आदमी


काउन्टी-मजिस्ट्रेट बीमार हो गया। कई मशहूर हकीमों से


इलाज कराने और बहुत सी महंगी दवाइयां खाने के बाद भी वह


चंगा नहीं हुआ। लाचार होकर उसे आफन्ती से इलाज कराना पड़ा।


आफन्ती ने मजिस्ट्रेट को पलंग पर लेटे देखा, तो उसके माथे पर बल पड़ गए। वह नाराज होकर घरवालों से बोला:


"मैं जिन्दा आदमी का इलाज करता हूं। तुम लोगों ने इस मरे हुए आदमी का इलाज करने मुझे क्यों बुलाया?"

मजिस्ट्रेट के घरवाले परेशान हो गए। बोले:


"क्या कहा? क्या मजिस्ट्रेट साहब अब जिन्दा नहीं हैं?"


"वे शरीर से तो अभी जिन्दा हैं," आफन्ती ने उत्तर दिया,


"मगर आम जनता के प्रति उनके बर्ताव को देखकर कहा जा सकता है कि उनका दिल मुर्दा हो चुका है। तुम्हीं बताओ, जब किसी का दिल मुर्दा हो चुका हो, तो क्या उसे जिन्दा आदमी कहा जा सकता है?"


पोशाक की इज्जत


एक दिन आफन्ती फटे-पुराने कपड़े पहन एक दोस्त के घर दावत खाने गया। दोस्त ने उसे अपने घर से निकाल दिया, इस डर से कि इतने गरीब आदमी के साथ दोस्ती रखने की वजह से लोग कहीं उसकी खिल्ली न उड़ाएं।


घर लौटने के बाद आफन्ती ने नए-नए शानदार कपड़े पहने और फिर उसी दोस्त के घर जा पहुंचा। इस बार दोस्त ने उसकी खूब खातिर की और उसे माननीय मेहमानों की पांत में बिठाया। दोस्त ने दस्तरखान पर रखे पकवानों की ओर इशारा करते हुए बड़े तकल्लुफ के साथ कहा:


"मेरे अजीज दोस्त, आइए, नोश फरमाइए!"


यह सुनते ही आफन्ती अपना मुंह आस्तीन के पास ले जाकर बुदबुदाने लगाः


"आइए पोशाक साहिबा, नोश फरमाइए!" दोस्त को आफन्ती की यह हरकत कुछ अजीब-सी लगी।


उसने पूछाः


"आफन्ती साहब, आप यह क्या कर रहे हैं?"


"मेरे प्यारे दोस्त," आफन्ती ने जवाब दिया, "आपने देखा नहीं? मैं अपनी उस शानदार पोशाक को खाना खिला रहा हूं जिसे आपने इतनी इज्जत बख्शी है।"

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