सबसे ज्यादा खुशी का दिन

 सबसे ज्यादा खुशी का दिन


बादशाह ने आफन्ती से पूछाः "आफन्ती, तुम पूरे राज्य का दौरा कर चुके हो। अवाम क्या सोचती है, यह अच्छी तरह जानते हो। जरा यह तो बताओ, अवाम किस दिन को सबसे ज्यादा खुशी का दिन मानती है?"


आफन्ती ने फौरन जवाब दिया:


"जिस दिन आप सकुशल बहिशत में पहुंच जाएंगे!"


चोरों से रक्षा


एक बार आफन्ती राजमहल के सामने से गुजर रहा था। उसने देखा, मंत्रियों की निगरानी में बहुत से मजदूर महल के अहाते की दीवार को पहले से ज्यादा ऊंचा बना रहे हैं। उसे बड़ा ताज्जुब हुआ। आगे बढ़कर पूछाः


"यह दीवार पहले ही काफी ऊंची है। इसे और ऊंचा बनाने की क्या जरूरत है?"


"तुम भी कैसे मूर्ख हो, आफन्ती?" मंत्रियों ने जवाब दिया। "इतनी-सी बात भी नहीं समझते! यह दीवार बाहर से आने वाले चोरों को रोकने के लिए बनाई जा रही है, ताकि वे राजमहल से सोना-चांदी और हीरा-मोती न चुरा ले जाएं।"


"हां, बाहर के चोर तो यह दीवार फांदकर अन्दर नहीं घुस पाएंगे," आफन्ती ने मंत्रियों की तरफ इशारा करते हुए कहा। "मगर यह तो बताइए कि महल के अन्दर के चोरों को कैसे रोका जा सकेगा?"

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