उबले हुऐ अण्डे और चूजे

 उबले हुऐ अण्डे और चूजे

उबले हुऐ अण्डे और चूजे


शहर का एक सेठ एक रेस्तरां चलाता था। एक बार आफन्ती ने उसके रेस्तरां में तीन उबले अण्डे खाए। जब अण्डे खा चुका तो पता चला कि वह पैसे लाना भूल गया है। उसने सेठ से माफी मांगी और उसे यकीन दिलाया कि अगली बार शहर आने पर उसके पैसे जरूर चुका देगा। बेफिक्र रहो, आफन्ती," सेठ ने कहा, "तीन अण्डों की कीमत ज्यादा नहीं है। जब फुर्सत मिले, दे जाना।"


छह महीने बाद आफन्ती फिर शहर गया और सेठ के पैसे चुकाने रेस्तरां में जा पहुंचा। उसने सेठ से पूछाः


"सेठ जी, पिछली बार मैंने आपके यहां तीन अण्डे खाए थे। आपको कितने पैसे दे दूं?"


सेठ ने दीवार पर से एक बड़ा-सा गिनती चौखट उतारा और देर तक हिसाब लगाने के बाद बोला:


"ज्यादा नहीं हैं। तीन अण्डों के लिए सिर्फ तीन सौ य्वान काफी हैं।"


"क्या कहा? सेठ जी, आप बौरा तो नहीं गए हैं?" आफन्ती भौचक्का रह गया।


"क्यों, क्या तुम इसे बहुत ज्यादा समझ रहे हो?" सेठ ने कहा, "अगर ये तीन अण्डे तुमने न खाए होते, तो इनसे तीन मुर्गियां पैदा होतीं। छः महीने के अन्दर एक मुर्गी कम से कम एक सौ अण्डे देती और तीन मुर्गियां तीन सौ अण्डे देतीं। अगर इन तीन सौ अण्डों से भी चूजे निकल आते, तो तुम्हीं बताओ उनका मूल्य कितना हो जाता?"


आफन्ती ने सेठ का यह कुतर्क मानने से इनकार कर दिया।


सेठ इंसाफ कराने बादशाह के पास जा पहुंचा। मुकदमे की सुनवाई के दिन बादशाह सुबह से ही आफन्ती को कड़ी से कड़ी सजा सुनाने को तैयार था। पर दो पहर तक आफन्ती की छाया तक नजर नहीं आई। बादशाह ने बार-बार आदमी भेजा, तो आफन्ती एक करछी उठाए आहिस्ता आहिस्ता आ पहुंचा।


"आफन्ती, तुम दिन-ब-दिन ढीठ बनते जा रहे हो." बादशाह गरजकर बोला। "जुर्म करने के बाद भी कानून की गिरफ्त से बचने की कोशिश कर रहे हो!"


"नहीं जहांपनाह, ऐसी बात नहीं है। मैं दरअसल काम में बेहद मशगूल था। मैं अपने पड़ोसी के साथ मिलकर दो मू जमीन पर गेहूं उगाता हूं। कल गेहूं की बुवाई है। बोने से पहले हम लोग गेहूं के बीज भून रहे थे। इसलिए मुझे यहां पहुंचने में कुछ देर हो गई।"


"हा-हा-हा!" बादशाह और सेठ दोनों जोर से हंस पड़े। बादशाह बोला: "तुमसे बड़ा बेवकूफ इस दुनिया में कौन हो सकता है। भला भुने हुए बीजों से भी कहीं अंकुर निकल सकते き?"


"अगर भुने हुए बीजों से अंकुर नहीं निकल सकते, तो मैं आपसे पूछना चाहता हूं, जहांपनाह, क्या उबले अण्डों से चूजे निकल सकते हैं?"


आफन्ती की दलील सुनकर बादशाह और सेठ का मुंह खुला का खुला रह गया।

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