पेट के चूहे मरने के लिये जिन्दा बिल्ली निगलो
एकमात्र इलाज
आफन्ती गांव-गांव में घूमकर लोगों की बीमारियों का इलाज करता था। किसी गांव के एक सेठ ने जानबूझकर उसे परेशान करना चाहा। वह हड़बड़ाकर आफन्ती के पास पहुंचा और बोला:
"आफन्ती, कल रात जब मैं गहरी नींद में सो रहा था तो अचानक एक चूहा मेरे मुंह के रास्ते पेट में चला गया। इसका क्या इलाज है?"
"तुम भी कैसे बेवकूफ हो. सेठ जी।" आफन्ती ने जवाब दिया। "इसका इलाज तो बड़ा आसान है। जाओ, जल्दी से एक जिन्दा बिलली निगल लो! वह जरूर तुम्हारे पेट के चूहे को खा जाएगी। मेरे पास तुम्हारी बीमारी का दूसरा कोई इलाज नहीं।"
बटुए की हिफाजत
एक बार आफन्ती यात्रा कर रहा था। रात में वह एक सराय में ठहरा। इस डर से कि कहीं कोई उसके पैसे न चुरा ले, उसने सोने से पहले अपना बटुआ सिरहाने के नीचे रख लिया।
आफन्ती के पास ढेर सारे पैसों से भरा बटुआ देखकर सराय-मालिक के मुंह में पानी आ गया और उसने उसे चुराने की योजना बना ली। रात को वह अनेक बार दबे पांव आफन्ती के पलंग के पास गया। पर इस डर से कि कहीं आफन्ती जागा न हो, उसने हाथ बढ़ाने का साहस नहीं किया। जब आधी रात बीत गई, तो उससे न रहा गया और उसने धीमे स्वर में आफन्ती से पूछा:
"आफन्ती भाई, क्या तुम सो चुके हो?"
"नहीं, क्या तुम्हें मुझसे कोई काम है?"
"आधी रात बीत चुकी है, जल्दी सो जाओ।"
"क्यों?"
"कल तुम्हें लम्बा सफर करना है। अगर अच्छी तरह आराम न किया, तो आगे कैसे जाओगे? जहां तक तुम्हारे बटुए का सवाल है, 'उसकी फिक्र न करो। हमारी सराय में उसे कोई नहीं चुराएगा।"
"शुक्रिया! अब मैं गहरी नींद सो सकूंगा।" यह कहकर
आफन्ती खर्राटे मारने लगा और बीच-बीच में बड़बड़ाता रहा: "मैं सो चुका हूं... मैं सो चुका हूं... सराय-मालिक का कहना है कि उसकी सराय में मेरा बटुआ कोई नहीं चुराएगा!"
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