सिर्फ अपनी मंजिल तोड़ रहा हूं

 सिर्फ अपनी मंजिल तोड़ रहा हूं

सिर्फ अपनी मंजिल तोड़ रहा हूं


आफन्ती ने एक सेठ से सौ य्वानपाओ उधार लिये और अपने परिवार के लोगों के साथ कठोर परिश्रम करके एक दुमंजिला मकान बनाया। मकान बहुत सुन्दर था। आफन्ती अभी नए मकान में गृहप्रवेश भी नहीं कर पाया था कि सेठ मकान की दूसरी मंजिल पर कब्जा करने के इरादे से उससे बोलाः "अगर तुम अपने मकान की दूसरी मंजिल मुझे दे दो, तो तुम्हारा कर्जा उत्तर जाएगा। वरना मेरा सारा कर्जा तुम्हें अभी चुकाना होगा।"


"मुझे मंजूर है," यह कहकर आफन्ती ने सेठ की बात फौरन मान ली और उससे बोला "मैं सोच रहा था. तुम्हारा ऋण कैसे चुकाऊंगा। अच्छा हुआ, तुमने खुद ही उपाय सुझा दिया।"


सेठ का परिवार इतराता हुआ आफन्ती के नए मकान की दूसरी मंजिल पर रहने लगा। कुछ दिन बीतने के बाद आफन्ती ने अपने सात-आठ पड़ोसियों को बुलाया और उनसे गैंतियां उठाकर मकान की दीवार तोड़ने को कहा। गैतियों की आवाज सुनकर सेठ ऊपर की मंजिल से बौखलाकर बोला:


"क्या तुम पागल हो गए हो, आफन्ती? नए मकान को क्यों तोड़ रहे हो?"


"तुम्हारा इससे क्या सरोकार? तुम इत्मीनान से दूसरी मंजिल में बैठे रहो।" दीवार पर गैंती से चोट करते हुए आफन्ती ने उत्तर दिया।


"क्या कहा? क्या इससे मेरा कोई सरोकार नहीं?" सेठ गुस्से से तमतमा उठा और गरजकर बोला, "हम लोग दूसरी मंजिल पर रहते हैं अगर मकान गिर गया, तो हमारा क्या होगा?"


"मैं क्या जानू?" आफन्ती ने कहा। "मैं तो सिर्फ अपनी मंजिल तोड़ रहा हूं, तुम्हारी मंजिल नहीं। तुम अपनी मंजिल को अच्छी तरह सम्भाल कर रखो। कहीं वह गिर गई, तो हम लोग उसके नीचे दब जाएंगे!" यह कहकर उसने फिर गैंती उठा ली।


नरम होकर आफन्ती से सुलह-समझौता करने के सिवाय सेठ के सामने और कोई चारा नहीं रह गया। उसने कहा:


"प्यारे भाई, मैं तुमसे हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि हमारी पुरानी दोस्ती को ध्यान में रखते हुए तुम अपने मकान की पहली मंजिल भी मुझे बेच दो। क्या तुम राजी हो?"


"ठीक है। तुम मुझे दो सौ य्वानपाओ और दे दो," आफन्ती ने उत्तर दिया।


सेठ अवाक रह गया।


"अगर एक भी य्वानपाओ कम मिला, तो मकान हर्गिज नहीं बेचूंगा और उसे तोड़कर ही रहूंगा।" आफन्ती ने गैंती फिर उठा ली।


"अच्छा बाबा, अच्छा। अगर यही बात है, तो मैं सारा मकान


खरीद लूंगा।"


सेठ ने लाचार होकर सारा मकान खरीद लिया।

Hindi kahani

Comments

Popular posts from this blog

बादशाह के कठिन सवाल और आफनती

मुर्ख बनाने वाली गियान की बातें

मूर्ख बादशाह और आफनती

अन्दर रहना ठीक नहीं हिंदी कहानी

खुदा का पैगाम हिंदी मजेदार कहानियां

खरबूजों के दाम हिंदी कहानी

खिड़की पर सिर देसी कहानियाँ

सबसे ज्यादा खुशी का दिन

तपस्या का बेहतरीन तरीका कहानी

उड़ने वाला घोड़ा देसी कहानियाँ