सोने की खेती हिंदी कहानियाँ

 सोने की खेती हिंदी कहानियाँ 

सोने की खेती हिंदी कहानियाँ


आफन्ती ने किसी से सोने के कुछ टुकड़े उधार लिये और अपने गधे पर सवार होकर एक बालूतट पर जा पहुंचा। वहां वह बड़ी संजीदगी के साथ छलनी से सोने के टुकड़ों को छानने लगा। कुछ देर बाद बादशाह शिकार खेलता हुआ वहां से गुजरा। आफन्ती की यह हरकत उसे बड़ी अजीब लगी। उसने पूछा:


"आफन्ती, तुम यह क्या कर रहे हो?"


"जहांपनाह, मैं इस वक्त सोने की बुवाई में मशगूल हूं।"


यह सुनकर बादशाह को और भी ताज्जुब हुआ। वह बोलाः


"मेरे दानिशमन्द आफन्ती, यह तो बताओ, सोना बोने से तुम्हें


क्या फायदा होगा?" "क्या आपको यह भी नहीं मालूम, जहांपनाह?" आफन्ती ने जवाब दिया, "आज सोना बो रहा हूं और शुकवार को इसकी फसल काट लूंगा। पहली फसल में मुझे कम से कम दस ल्याङ सोना जरूर मिलेगा।"


यह सुनते ही बादशाह के मुंह से लार टपकने लगी। उसने सोचा, इस बढ़िया व्यापार में वह भी साझेदार क्यों न बन जाए? वह मुस्कराता हुआ आफन्ती से बोलाः


"आफन्ती भाई, तुम इतना कम सोना बोकर अमीर कैसे बन सकते हो? अगर सोना ही बोना चाहते हो तो ज्यादा से ज्यादा बोओ। बीज के लिए सोना काफी न हो, तो मेरे महल से ले आओ। जितना चाहो, ला सकते हो। अब मैं तुम्हारा साझेदार बन गया हूं। फसल में से अस्सी फीसदी हिस्सा मुझे दे देना। बोलो, तैयार हो?"


"ठीक है जहांपनाह, मुझे आपकी शर्त मंजूर है!"


दूसरे दिन आफन्ती महल से दो चिन सोना उठा लाया और एक हफ्ते बाद दस चिन सोना बादशाह को भेंट कर आया। सोने की चमचमाती सिल्लियां देखकर बादशाह का दिल बांसों उछलने लगा। उसने फौरन अफसरों को हुक्म दिया कि वे शाही भण्डार में मौजूद सारा सोना बोने के लिए आफन्ती को दे दें।


घर लौटकर आफन्ती ने सारा सोना गरीबों में बांट दिया।


एक हफ्ते बाद वह मुंह लटकाकर खाली हाथ बादशाह के पास जा पहुंचा। उसे देखते ही बादशाह खुशी से उछल पड़ा और बोला:


"तुम आ गए, आफन्ती? पर सोना ढोने वाली गाड़ियों का काफिला कहां है?"


"जहांपनाह, क्या बताऊं? वह माथा पकड़कर बिल्कुल रोता हुआ बोला। "इस बीच एक भी बूंद पानी नहीं पड़ा और सोने की सारी फसल सूख गई। फसल तो दूर रही, बीज से भी पूरी तरह हाथ धोना पड़ा!"


आफन्ती की बात सुनकर बादशाह गुस्से से पागल हो उठा और गरजकर बोला: "तुम सफेद झूठ बोल रहे हो. आफन्ती! क्या कहीं सोना भी सूख सकता है? तुम मुझे धोखा देना चाहते हो!"


"मेरी बात पर आपको ताज्जुब क्यों हो रहा है, जहां पनाह?"


आफन्ती ने उत्तर दिया। "अगर आपको इस बात पर यकीन नहीं है कि सोना सूख सकता है. तो इस बात पर कैसे यकीन हो गया कि सोने को जमीन में बोया जा सकता है और उसकी फसल काटी जा सकती है।"


बादशाह अवाक रह गया, जैसे उसके मुंह में किसी ने मिट्टी का लोंदा ठूंस दिया हो।


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