दुम कटा घोड़ा मजेदार कहानियां
दुआ
एक दुष्ट मंत्री गम्भीर रूप से बीमार था। एक दिन आफन्ती उसके घर के सामने से गुजर रहा था। उसने देखा कि मंत्री का बेटा फाटक पर खड़ा है। आफन्ती ने बड़ी अन्यमनस्कता से पूछाः
"तुम्हारे अब्बाजान की तबीयत कैसी है?"
"शुक्रिया आफन्ती चाचा, आपकी दुआ से..."
"मेरी दुआ से?" आफन्ती उसकी बात काटता हुआ बोला:
"मेरी दुआ से तो तुम्हारे परिवार के लोगों को इस समय मातम मनाना चाहिए था।"
दुमकटा घोड़ा
एक बार बादशाह और आफन्ती साथ-साथ शिकार खेलने गए। रात को दोनों एक ही जगह टिके। आफन्ती की हंसी उड़ाने के इरादे से बादशाह आधी रात में चुपके से उठा और उसने आफन्ती के घोड़े के जबड़े से मांस का एक टुकड़ा काट लिया।
पौ फटने पर जब आफन्ती जागा, तो उसने देखा घोड़े के जबड़े का कुछ मांस कटा हुआ है। वह फौरन समझ गया कि यह बादशाह की शरारत है। इसलिए ज्योंही बादशाह अपने घोड़े पर सवार हुआ, आफन्ती ने चुपचाप छुरी से उसके घोड़े की दुम काट
दी।
दोनों अपने-अपने घोड़े पर सवार होकर चल पड़े। बादशाह आफन्ती की हंसी उड़ाने के लिए उसके घोड़े के मुंह की तरफ इशारा करता हुआ खिलखिलाकर हंस पड़ा और बोला:
"हा-हा-हा, जरा सामने तो देखो, तुम्हारा घोड़ा मुंह फाड़कर हंस क्यों रहा है?"
आफन्ती ने ठहाका मारते हुए बादशाह के घोड़े की दुम की तरफ इशारा किया और कहा:
"हां जहांपनाह, मेरा घोड़ा दरअसल आपके घोड़े पर हंस रहा है। जरा पीछे मुड़कर अपने घोड़े को तो देखिए। उसकी दुम कहां चली गई है?"
झेंप
आफन्ती ने देखा कि एक चोर दीवार फांदकर उसके आंगन में आ घुसा है। वह फौरन कमरे के अन्दर एक खाली सन्दूक में जा छिपा। चोर ने आफन्ती के घर के कोने-कोने को छान मारा। पर उसे एक भी काम की चीज नहीं मिली। अन्त में उसने उस पुराने सन्दूक को भी खोल दिया, जिसमें आफन्ती घुटनों के बल बैठकर छिपा हुआ था। उसे देखकर चोर को बड़ा अजीब लगा। उसने पूछा:
"बड़े ताज्जुब की बात है. तुम इसके अन्दर क्यों बैठे हो?"
आफन्ती ने जवाब दियाः
"मैं इतना गरीब हूं कि मेरे घर में तुम्हारे ले जाने लायक कोई चीज नहीं है। इसलिए जब मैंने देखा कि तुम आ रहे हो, तो मैं बेहद झेंप गया और इस सन्दूक के अन्द्र छिप गया।
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