जहर का कटोरा आफनती की कहानी
जहर का कटोरा आफनती की कहानी उन दिनों आफन्ती एक काजी के घर नौकरी करता था। एक दिन एक सेठ ने काजी को एक कटोरा शहद भेंट किया। काजी ने अभी-अभी खाना खाया था और उसे किसी जरूरी काम से बाहर जाना था। उसने आफन्ती को बुलाकर हुक्म दियाः "आफन्ती, मैं बाहर जा रहा हूं। इस कटोरे में जहर है, जिसे अभी-अभी सेठ जी दे गए हैं। इसे सम्भालकर रख देना।" यह कहने के बाद काजी घोड़े पर सवार हो गया और बाहर चला गया। काजी के बाहर जाते ही आफन्ती ने एक नान निकाला और उसे शहद में डुबाकर बड़े इत्मीनान से खाने लगा। कुछ ही क्षणों में वह सारा शहद चट कर गया। इसके बाद उसने काजी के घर के सारे बर्तन-भांडे तोड़ डाले। काजी घर लौटा, तो देखा शहद का कटोरा खाली पड़ा है। उसने पूछा: "कटोरे का जहर कहां है, आफन्ती?" आफन्ती ने बड़ी नाटकीयता के साथ कांपती जबान में जवाब दियाः "मालिक, मुझसे आज एक भारी गलती हो गई है। मेरी लापरवाही से आपके घर के सारे बर्तन-भांडे टूट गए हैं। मैंने सोचा, आप मुझे जरूर फटकार लगाएंगे और मुझसे मुआवजा मांगेंगे। मैं एक गरीब आदमी हूं। इतना मुआवजा देना मेरे बूते के बाहर है। इसलिए मैंने आत्महत्या क